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गांठ / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
यह बड़ी मजबूत गांठ है
एक गरीब की लगाई गांठ खोलना
इतना आसान नहीं
इसे खोले बिना अच्छी कविता लिखना
नामुमकिन है