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गाछ सुतल तोहे सुगना कि तोहु सीताराम कहु रे ललना रे / मैथिली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

गाछ सुतल तोहे सुगना कि तोहु सीताराम कहु रे ललना रे
काहां रंगले दुनु होठ रतन सन सुन्दर रे
बाबा घर बाजन बाजे भईया घर बेटा भेल रे ललना रे ओतहीं रंगैलऊं दुनु होठ रतन सन सुन्दर रे
भोर भिनसाऎ भेल होरीला जनम लेले, बाजय लागल बधाई धरती आनन्द भेल रे
सास उठलि मंगल गावईत उठली नन्दी नचैत उठली रे ललना रे गोतनी उठली जरईत कि कंस जनम लेल रे
सुरदास सोहर गावोल गावि सुनावोल रे ललना रे तीन कहु बास बैकुण्ठ कि पुत्र फ़ल पाओल रे


यह गीत श्रीमती रीता मिश्र की डायरी से