भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गाड़ी सी गाड़ी ठिल गई रे मऽरोऽ रंजन भौरा / पँवारी
Kavita Kosh से
पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
गाड़ी सी गाड़ी ठिल गई रे मऽरोऽ रंजन भौरा।।
दारऽ मऽ... डालो पानी रे मऽरोऽ रंजन भौरा।।
केत्तिक आवय बरात रे मऽरोऽ रंजन भौरा।।
पैदल की नऽ हाय गिनती रे मऽरोऽ रंजन भौरा
हाती घोड़ा नी मोन्जात रे मऽरोऽ रंजन भौरा
समधी मांडी पऽ चढ़-चढ़ देखय रे मऽरोऽ ... रंजन भौरा
ओकी छाती धड़ाका लेय रे मऽरोऽ रंजन भौरा
दारऽमऽ डालो पानी रे मऽरोऽ रंजन भौरा।।