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गाड़ो तो रड़क्यो बालू रेत में / मालवी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

गाड़ो तो रड़क्यो बालू रेत में
पोंचे बेन्या बई ना देस
चलो म्हारा धोरी उतावळा
म्हारी बेन्या बई जोवे वाट
धोरी ना चलक्या सींगड़ा
म्हारा बीराजी नी पचरंगी पाग
भोजायां नो चलवरयो चूड़लो
म्हारा भतीजा नो झगल्यो झूल
चलो म्हारा धोरी उतावळा