गाम-शहर / अविरल-अविराम / नारायण झा
आब गाम हकोप्रत्यास
गरदनि उठा-उठा
तकैत रहैए बाट दिस
सोचैत रहैए गाम
नहि रहत केयो मरद
जनानाक कहाओत गाम
कि ओहो धरत गाड़ी
के बुझैए
शहर थिक विकासक नाम
लोक शहर दिस
उठा चुकल कहिया ने डेग
कतेक नगर
बसा चुकल लोक
अरजै खातिर ढौआ
कS चुकल अछि
साम्राज्यक विस्तार
गामक हवा-पानि
हुनका लेल मरखाह
खेती-पाती,चास-समार
ताहि पर जोत तेखार
धन रोपनी आ कदबा पखार
छीटब खाद,पटायब खेत
बिसरि चुकल अछि
गामक लोक
बिधक बास्ते बाँसक बासन
माटिक बासन काज-उदेम
टेटिआइत रहैए
कारीगर करीन्दा
जीबै लेल कतेको आसन
नहि भरै छै तखनो पेट
काटय कतबो घेंट
नहि बनैए सूच्चा सेठ
एखनुका लोक अछि पड़िकल
पगाड़ पबै मे,पन्नी बीछैमे
ईटा-गारा खूब उघैमे
किलाक-किला जीरी काटय
धोकरा-धोकरी खूब सीबैमे
होटलक बासन खूब मलैमे।
आब गाम हकोप्रत्यास
गरदनि उठा-उठा
तकैत अछि बाट दिस।