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गालियाँ / कुमार विकल
Kavita Kosh से
फ़ैक्टरी के मालिक ने
मेरे बेटे को गालियाँ दीं
हरामख़ोर...
सूअर की औलाद
कुत्ते...कमीने
और न जाने क्या-क्या
मेरा बेटा सुनता रहा
रोता रहा...
अब मैं अपने बेटे को गालियाँ दे रहा हूँ
उसने मालिक को
बराबर की गाली क्यों नहॊं दी
क्यों वह
मेरी ढलती उम्र
बीमार माँ
और स्कूल में पढ़ते भाई
के बारे में सोचता रहा
और रोता रहा ।