भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गाली ब्याई जी को / 3 / राजस्थानी
Kavita Kosh से
राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
ये हलर मलर करती ब्याईजी वाली आई,
ऐ ढुल जाये बिंली ढुलावण वाला यार ऐ।
जठ ब्याईजी वाली पोढण आई,
ऐ ढुल जाये बिंदली ढुलावण वाला यार ऐ।
पाटी पाड बुलाई नाचणा खुल्ला लट्टा आई,
ऐ ढुल जाये बिंदली ढुलावण वाला यार ऐ।
गलीयार बुलाई ये नाचण सई बजारा आई,
ऐ ढुल जाये बिंदली ढुलावण वाला यार ऐ।
गाडी ऐठ बुलाइये नाचण पगा-पगा आई,
ऐ ढुल जाये बिंदली ढुलावण वाला यार ऐ।
टिकी देयर बुलाई नाचण सुना लिलाडा आई,
ऐ ढुल जाये बिंदली ढुलावण वाला यार ऐ।
सुरमा सार बुलाई नाचण फिका नेणा आई,
ऐ ढुल जाये बिंदली ढुलावण वाला यार ऐ।