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गिरि-परबतवा में दुइ रे गछुलिया / भोजपुरी

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गिरि-परबतवा में दुइ रे गछुलिया, एक महुआ, एक आम।
ताही तर बारे रे दुइ त तपसिया, एक लछुमन, एक राम।।१।।
उठु-उठु लछुमन करु कुला-दतुवन, गंगा पइसि करु असनान।
अवँटल दूधवा से हो त सेरइले, बुकल मरीचिया हेवान।।२।।
लालहीं घोड़वा लखन चढ़ि अइल, उज्जर घोड़ा भगवान।
कि उज्जर खटोला चढ़ि आवे सिया जानकी, चवँर डोलावे हनुमान।।३।।