(1)
रामराज्य
( राग सोरठ )
बनतें आइकै राजा राम भए भुआल |
मुदित चौदह भुअन, सब सुख सुखी सब सब काल ||
मिटे कलुष-कलेस-कुलषन, कपट-कुपथ-कुचाल |
गए दारिद, दोष दारुन, दम्भ-दुरित-दुकाल ||
कामधुक महि, कामतरु तरु, उपल मनिगन लाल |
नारि-नर तेहि समय सुकृती, भरे भाग सुभाल ||
बरन-आश्रम-धरमरत, मन बचन बेष मराल |
राम-सिय-सेवक-सनेही, साधु, सुमुख, रसाल ||
राम-राज-समाज बरनत सिद्ध-सुर-दिगपाल |
सुमिरि सो तुलसी अजहुँ हिय हरष होत बिसाल ||