Last modified on 19 दिसम्बर 2019, at 00:46

गीत का मौसम / दीनानाथ सुमित्र

आ गया है गीत का मौसम
मत करो तुम यह नयन नम
 
सुमन नव-नव िखल रहे हैं
हवा सुरभित बह रही है
मुझे भी िखलना अभी है
कली सबसे कह रही है
नाचती है सुरभि छम-छम
आ गया है गीत का मौसम
मत करो तुम यह नयन नम
 
बह रही है प्रीत सरिता
चलो अब स्नान करने
दिवस स्वर्णिम आ गया है
चलो मंगल- गान करने
टिक नहीं पाए कहीं गम
आ गया है गीत का मौसम
मत करो तुम यह नयन नम
 
 
बाँट दो सर्वस्व अपना
तुम कुबेरापन दिखाओ
नृत्य कर लो गीत गाकर
अधर पर मुस्कान लाओ
साथ में हैं कोटि हमदम
आ गया है गीत का मौसम
मत करो तुम यह नयन नम