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गीत गाते सभी कुमारे थे / कैलाश झा 'किंकर'
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गीत गाते सभी कुमारे थे
जो किसी के लिए इशारे थे।
प्यास भी मिट नहीं सकी मेरी
जो समंदर थे ख़ूब खारे थे।
आज वर्षों का साथ छूटा है
एक दूजे के जो सहारे थे।
फेंकते रोटियों को कूड़े में
मुफ़लिसी में जो दिन गुज़ारे थे।
सोचना मत कि वह सँभालेगा
जिसके जीवन को तुम सँवारे थे।
तेरे आतंक से दहलता दिल
बोल मासूम क्या बिगाड़े थे।