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गीत मेरे प्रेम के / संतोष श्रीवास्तव
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ये कल्पना में रंग इंद्रधनुषी
कैसी करवट बदलती तनहाई
रौनकें दे रही हैं द्वार पर फेरे
छलक उठे हैं शरबती झरने
लरजती आती है
संदली हवा मुझ तक
ये स्वर कहाँ से ,कैसे हैं
कौन है
किस ठौर से जो गा रहा है
गीत मेरे प्रेम के