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गीत / मुकुटधर पांडेय

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पूजा करो हर्ष से आज
निज भारत माता की भाई

सिर पर मुकुट रत्न भंडार
शोभित हिम गिरि का छविसार
उर में गंग-जमुन के हार
कटि में विन्ध्याटवी सुहाई

पार्श्व में बहते शोभाधाम
सिन्धु नद ब्रह्म पुत्र अभिराम
चूमता पद को सिन्धु ललाम
लोल लहरों की छवि है छाई

पहिने तन में हरित दुकूल
धारण किये विविध फल-फूल
बैठी मंगल की है मूल
मुख की प्रभा परम मन भाई

छोड़कर के तुम सारा काज
यहाँ आओ ले सकल समाज
सजाओ पूजा के शुभ साज
आज यह घड़ी मनोहर आई।