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गीत 12 / दोसर अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

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कर्मयोगी जन सफलता अरु विफलता नै विचारै।
कर्म पर से दृढ़ रहै नित, जे सदा सम भाव धारै।

कामना राखि कर्म करना निम्न जन के काम छै
लोग फल के हेतु बनि कै ही बनल बदनाम छै
कामना रखि कर्म करना, कर्मयोगी नै सकारै
कर्मयोगी जन सफलता अरु विफलता नै विचारै।

कर्मयोगी कर्म के बन्धन तजै छै देह सँग
पाप से अरु पुण्य से फरकल सदैव विदेह सन
कर्म बन्धन फल दिखावी, वीर के भी धरि पछारै
कर्मयोगी जन सफलता अरु विफलता नै विचारै।

तों लागोॅ समरूप कर्मों में, तजोॅ सब कर्म बन्धन
तों करोॅ समबुद्धि से फल त्याग, काटोॅ जन्म बन्धन
जन्म बन्धन काटि केॅ तब, जन परमपद आप धारै
कर्मयोगी जन सफलता अरु विफलता नै विचारै।