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गीत 12 / नौवाँ अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

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श्रद्धा राखि जे किनको पूजै, से हमरे पूजै छै
विविध नदी में बरसल जल, सागर में आवि मिलै छै।

जे अज्ञानी विधि नै जानै
तेकर भाव जानै छी,
पूजै कोनो देव के
हम अपने पूजा मानै छी,
श्रद्धावन्त सकाम भगत फल मनवांछित पावै छै।

सब यग के छी हम्हीं भोक्ता
सब यग के हम स्वामी,
पर परमेश्वर तत्त्व न जानै
जग के भक्त सकामी,
पावै स्वर्ग न पुनि-पुनि आवै, जग के सदा भजै छै।

जौने देव-पितर के पूजै
देव-पितर के पावै,
भूत के पूजै भूत के पावै
किनतु मुक्ति नै पावै,
हमरा पूजै हमरा पावै, पुनरागमन नशै छै
श्रद्धा राखि जे किनको पूजै, से हमरे पूजै छै।