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गीत 16 / नौवाँ अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

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हमरोॅ भक्त न नष्ट हुऐ छै
कहलावै सब दिन धरमतमा, कभी न ऊ पथभ्रष्ट हुऐ छै।

पाप योनि, चण्डाल योनि भी सहज परम गति पावै
जे भौतिक संसार त्यागि केॅ हमर शरण में आवै
उनकर पाप-दोष-दुख सब टा सहजें धुलै विनष्ट हुऐ छै
हमरोॅ भक्त न नष्ट हुऐ छै।

जब कि अधम उत्तम गति पावै, उत्तम के गति जानोॅ
पुण्य शील उत्तम प्राणी के हमरे जैसन मानोॅ
हमरा पावै जनम मरण के फिर नै उनका कष्ट हुऐ छै
हमरोॅ भक्त न नष्ट हुऐ छै।

हे अर्जुन हय क्षणिक देह लेॅ सुख के आस दुरावोॅ
हमरोॅ भजन करोॅ सब तजि के, हमरा तों अपनावोॅ
हमरोॅ पूजन-मनन करी केॅ, योगी जन संतुष्ट हुऐ छै
हमरोॅ भक्त न नष्ट हुऐ छै।