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गीत 1 / दशम अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

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श्री भगवान उवाच-

कहलन श्री भगवान, पार्थ अब अपन रहस्य बतैवोॅ
जे अतिशय हितयुक्त बात छै, से कहि कै समझैवोॅ।

हमरोॅ उत्पत्ति-लीला के
देव लोग नै जानै,
और महर्षिगण हमरोॅ
लीला के नै अनुमानै,
देव-महर्षि सब के कारण कैसें छी समझैवोॅ।

जे जन हमरा अचल-अजन्मा
जन्म रहित जानै छै,
जे अनादि-ईश्वर कहि हमरा
परम तत्त्व मानै छै,
से मनुष्य छै ज्ञानवान, हम उनकर गति समझैवोॅ।

तत्त्व सहित जे हमरा जानै
से कहलावै ज्ञानी,
सब प्रकार मुक्ति पावै छै
सिद्ध-संत-विज्ञानी,
जे हमरा जै रूप में चाहै, तौन रूप धरि ऐवोॅ
कहलन श्री भगवान, पार्थ अब अपन रहस्य बतैवोॅ।