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गीत 21 / दोसर अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्गलपुरी
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अर्जुन! ब्राह्मी-स्थिति के जानोॅ।
ब्रह्म छिकै की की ईश्वर छिक, की छिक जग? पहचानोॅ!
हम के छेकौं, कहाँ से ऐलौं?
की कर्त्तव्य हमर छिक?
की केॅ रहलौं, की करना छै?
की दायित्व हमर छिक?
एकरौ ज्ञान जरूरी समझी, मन ही मन तों ध्यानोॅ!
की छेकै संसार चक्र अरु
कैसे जीव घुमै छै?
ममता आसक्ति अरु चाहत
कैसंे दुखित करै छै?
मोह समूल नशैतै कैसें, प्रथम आप अनुमानोॅ!
ब्राह्मी-स्थिति के जानि क मानव
ब्रह्मानंद के पावै,
मृत्यु-काल समभाव रहै
उद्धार जीव तब पावै।
जन्म-मरण के बंधन छूटै, परम सत्य है मानोॅ।
अर्जुन ब्राह्मी-स्थिति के जानौ।