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गीत 36 / अठारहवां अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

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जे मनुष्य गीता रहस्य के, सुधिजन तक पहुँचावै छै
से जन हमरोॅ परम भक्त छिक, सीधे हमरा पावै छै।

उनकर सब बन्धन विनसै
जे श्रद्धावन्त कहालवै,
गुण स्वभाव लीला जे हमरोॅ
प्रेम सहित छै गावै,
उनकोॅ सब-टा दोष नसावै, सहजें जनम जुरावै छै
से जन हमरोॅ परम भक्त छिक, सीधे हमरा पावै छै।

कोय न उनकोॅ सन प्रिय हमरोॅ
भेल न कहियो होतै,
जे अपनोॅ सब स्वारथ के
त्यागी के हमरोॅ होतै,
जे हमरोॅ-तोरोॅ सम्वाद, भगत जन तक पहुँचावै छै
से जन हमरोॅ परम भक्त छिक, सीधे हमरा पावै छै।

जे जन गीता पढ़ै-पढ़ावै
ज्ञान-यग फल पावै,
हमरोॅ अगुण-सगुण स्वरूप के
सहजें समझै पावै,
ज्ञान-यग करि द्रव्य यग से भी उत्तम फल पावै छै
से जन हमरोॅ परम भक्त छिक, सीधे हमरा पावै छै।