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गीत 7 / चौथा अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

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कृष्ण अर्जुन से कहलका, हित वचन बड़ प्यार से
कर्म की? अकर्म कीछै? अब सुनोॅ विस्तार से।

कर्म के, अकर्म के
विकर्म के अति गति गहन
शास्त्रसम्मत कर्म छिक
ज्ञानी पुरुष के आचरण
शास्त्र सम्मत आचरण ज्ञानी करै अधिकार से
कृष्ण अर्जुन से कहलका, हित वचन बड़ प्यार से।

देह-मन-वाणी से करलोॅ कर्म
ओकरोॅ भाव से
भेल जे उत्पन्न क्रिया
सहजे ओकर विलगाव से
जे अकर्मक गुण धरै, से नै बँधै संसार से
कृष्ण अर्जुन से कहलका, हित वचन बड़ प्यार से।

झूठ-चोरी-कपट-हिंसा
व्यभिचार विकर्म छिक
व्यक्ति के दायित्व अपनोॅ निर्वहन
शुभ कर्म छिक
नै तजै कुल धर्म ज्ञानी जन कभी आचार से
कृष्ण अर्जुन से कहलका, हित वचन बड़ प्यार से।