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गीत 7 / तेसरोॅ अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्गलपुरी
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जे करै छै श्रेष्ठ जन, सब जन करै छै अनुकरण
सब तरह अनुकरणीय छै श्रेष्ठ जन के आचरण।
नै तेॅ कोनो वस्तु छै
अप्राप्त हमरा वास्ते
नै तेॅ कोनो कर्म ही छै
शेष हमरा वास्ते
कर्म सब होते रहै छै, अनवरत अरु आदतन।
श्रेष्ठ जन जों कर्म के प्रति
सावधानी नै करै
तब भठै निज कर्म से
अरु अनुकरण सब जन करै
गहि कुरीति कुपथ करै छै, ऊ जगत में संचरण।
श्रेष्ठ जन जब कर्म त्यागै
तब अनैतिकता फलै
सब जनोॅ में तब अनैतिक
आचरण सहजे पलै
सद्पुरुष के भ्रष्ट होते, होत नैतिकता क्षरण
जे करै छै श्रेष्ठ जन, सब जन करै छै आचरण।