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गीत 7 / बारहवां अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

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मोर मरम से ज्ञान श्रेष्ठ छै, ज्ञान से हमरोॅ ध्यान श्रेष्ठ छै
ध्यानों से छै कर्म श्रेष्ठ अरु कर्मो से फल त्याग श्रेष्ठ छै।

मिलै त्याग से शान्ति, शान्ति से-
जग सब टा सुख पावै,
साधक लेॅ अभ्यास
ज्ञान के सहज पंथ दिखलावै,
गुण प्रभाव लीला के समझी, आतम के निर्माण श्रेष्ठ छै
मोर मरम से ज्ञान श्रेष्ठ छै।

श्रद्धा-भगति निष्काम भाव रखि
परमेश्वर के ध्यावै,
करै कर्म-फल त्याग विवेकी
परमेश्वर के पावै,
सकल कर्म-फल त्याग करी केॅ अन्तः के उत्थान श्रेष्ठ छै
ज्ञान से हमरोॅ ध्यान श्रेष्ठ छै।

द्वेष भाव से रहित पुरुष जब
सब टा स्वारथ त्यागै,
सब जीवोॅ से प्रेम करै जे
दयावन्त ऊ लागै,
अहंकार अरु ममता त्यागै, अन्तः के विज्ञान श्रेष्ठ छै
ध्यान शब्द-संधान श्रेष्ठ छै।

सुख-दुख में सम, क्षमावान जे
सब अपराध विसारै,
सदा रहै संतुष्ट, निरन्तर-
मन इन्द्रिय के मारै,
हमरा में विश्वास रखै नित, सुमिरन अन्तः गान श्रेष्ठ छै
ध्यानी जन फलवान श्रेष्ठ छै।

सकल कर्म हमरा अर्पित करि
श्रद्धावन्त कहलावै,
मन-बुद्धि चित हमरा में
सोपै से हमरा भावै,
प्राण-प्राण में हवन करै, से यग श्रेष्ठ, यजमान श्रेष्ठ छै
क्षमावान विद्वान श्रेष्ठ छै।