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गीत 9 / सातवाँ अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

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अलग-अलग देवोॅ के प्राणी अलग-अलग अपनावै
जौने जिनका भजन करै छै, तौने तिनका पावै।
जौने प्राणी सब देवोॅ में
हमरा ही जानै छै,
विविध देव में जे प्राणी
हमरे स्वरूप मानै छै,
सब पूजन के फल में, से सब विधि हमरा ही पावै।
हमरोॅ रचल विधान
देवता कभी न टारेॅ पारै
और कर्म फल के नै
कोनो जीव नकारेॅ पारै
अल्प बुद्धि वाला के फल भी अवसर पाय नसावै।
विविध देव के पूजै वाला
उनका से उत्तम छै,
जे नै मानै देव पितर के
जिनकोॅ काज अधम छै
जौने पूजै भोग वस्तु के, और दुःख उपजावै।
जे हमरा से एक बेर
कैसूँ रिश्ता जोड़ै छै,
हम उनका नै छोड़ै छी
केतनो रिश्ता तोड़ै छै,
लाख भगत भागै हमरा से, लौटि शरण में आवै
जौने जिनका भजन करै छै, तौने तिनका पावै।