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गुजरात-2 / नरेश सक्सेना

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कैसे हैं अज़ीज भाई, फ़ोन पर पूछा

’ख़ैरियत से हूँ, और आप?’

’मज़े में...’ मुँह से निकलते ही घड़ों पानी पड़ गया

अच्छा ज़रा होश्यार रहिएगा

’किससे?’

’हिन्दुओं से’- कहते-कहते रोक लिया ख़ुद को

हकलाते हुए बोला-

’बस, ऎसे ही एहतियातन कह दिया’

रख दिया फ़ोन

सोचते हुए

कि उन्हें तो पता ही है

कि किससे