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गुज़रती हुई सर्दियाँ / बेई दाओ

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जागना : उत्तर की ओर के जंगल
पृथ्वी पर बेतहाशा जल्दबाज़ ढोलताल
सूरज की रोशनी की गाढ़ी शराब भरी है पेड़ों के तनों में
अंधेरे की बर्फ़ को हिला देती है
लोमडिय़ों के झुंड से भरा हृदय ज़ोरों से रोता है

हवा जो कुछ भी चुराती है वह हवा ही है
बर्फ़ की हानि झेलती हुई सर्दियां
अपने रूपक से कहीं बड़ी हैं
जो घर की याद से पीडि़त है उस राजा की तरह है
जो अपना राजपाट खो बैठा
उस चीज़ की तलाश में है जो हमेशा के लिए जा चुकी

समंदर हर जीवित वस्तु के मातम में है
सितारे प्रेम की चमक में हैं
पीतल की सींगों और बग़ीचे के दंगों के बीच से गुज़रती नदी की
इस चित्रावली का गवाह कौन है?

सुना तुमने? मेरी प्यारी
एक-दूसरे का हाथ थामे हम बूढ़े हो जाएं
शब्दों के नीचे अपनी निष्क्रियता को जीते हुए
समय को दुबारा बुनते हुए छूट जाएं हमसे कुछ गांठें
या छूट जाए एक कविता ही अधूरी

अंग्रेजी भाषा से रूपांतरण : गीत चतुर्वेदी