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गुड़ दै, नई तो / सांवर दइया
Kavita Kosh से
अभावां री आंच सूं
दूध री गळाई
म्हारै मांय उफणतो
विद्रोह
अर
कीं मिलतां ई
पींदै बैठण लाग्यो उफाण ।