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गुड्डा किरकिट खेलेगा / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'

मेरा गुड्डा किरकिट खेलेगा
चाहे जितनी तेज गेंद हो, झेलेगा।

रन के लिए दौड़ लेगा, जैसे चीता
गुड्डा कोला, पेप्सी कभी नहीं पीता।

ऊँची बाल देखकर जड़ता है छक्का
डरता नहीं चोट से, है इतना पक्का।

फिरकी गेंदों को सीमा दिखलाता है
जब भी बैटिंग करता, शतक जमाता है।

बौलिंग में भी उसका कहीं नहीं सानी
कभी फेंकता है वह गेंदें तूफानी,

और कभी फिरकी इस तरह घुमाता है
बड़े से बड़ा बैटसमैन चकराता है।

फील्डिंग में भी उसे महारत हासिल है
उसकी अंजूरी उठती है गेंदों का बिल है।

अब तो उसको टेस्ट मैच खिलवाना है
या फिर एकदिनी कप्तान बनाना है।