भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गुमनाम हुए लोग / राहुल कुमार 'देवव्रत'
Kavita Kosh से
तुम्हें जाना था सड़क पर
.......मीलों लम्बे
इतने कि गिन न पाते सफर की लंबाई
मील के पत्थर
बस नाव की तरह भटकते रहे
छोरों के बीच यूं ही
धारा की चोट खाना
चौगुना वजन ढ़ोना
कहीं न पहुंच पाना
किसी ने नहीं देखा
धीरे-धीरे तुम्हारा टूटना
और डूब जाना नदी में .....बेआवाज़