भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गुमनाम हुए लोग / राहुल कुमार 'देवव्रत'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हें जाना था सड़क पर
      .......मीलों लम्बे

इतने कि गिन न पाते सफर की लंबाई
मील के पत्थर

बस नाव की तरह भटकते रहे
छोरों के बीच यूं ही

धारा की चोट खाना
चौगुना वजन ढ़ोना
कहीं न पहुंच पाना

किसी ने नहीं देखा
धीरे-धीरे तुम्हारा टूटना
और डूब जाना नदी में .....बेआवाज़