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गुलज़ारे-हस्ती-बूद न बेगानावार देख / इक़बाल
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गुलज़ारे-हस्ती-बूद न बेगानावार देख
है देखने की चीज़, इसे बार-बार देख
आया है तू जहाँ में मिसाले-शरार देख
दम दे न जाए हस्ती-ए-नापायादार देख
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख, मेरा इंतिज़ार देख
शब्दार्थ :
गुलज़ारे-हस्ती-बूद न बेगानावार देख=जीवन के बग़ीचे को उदासीन नज़र से न देख; मिसाले-शरार=चिंगारी की भाँति; हस्ती-ए-नापायादार=नाशवान जीवन; दीद=देखने