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गुस्सा / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
सममुच बहुत बुरा है गुस्सा।
गुस्से में सब उल्टा-पुल्टा।
गुस्से में है तोड़ा-फोड़ी।
गुस्से में है नाक-सिकोड़ी।
गुस्से में है मारा-मारी।
गुस्सा है गड़बड़ बीमारी।
जब आए तब चलता कर दो।
हँसकर मुँह में हलुवा भर दो।