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गोरी बाबुल का घर है अब बिदेसवा / शैलेन्द्र

गोरी, बाबुल का घरवा अब है बिदेसवा
साजन के चरणों में घर है तेरा
ओ गोरी, चार दीवारी, अंगना, अटारी
यही तेरी दुनिया, ये जग है तेरा
गोरी, बाबुल का घरवा

आई है तू, बगिया में जैसे बहार आई रे
आँचल में प्यार, अँखियों में सपने हज़ार लाई रे
बड़ी गहरी नदिया के पार आई रे
गोरी, बाबुल का घरवा …

रंगोंभरी नई एक दुनिया बसाएगी तू
उम्मीद का नया एक दिवडा जलाएगी तू
पलने में चँदा को झुलाएगी तू
गोरी बाबुल का घरवा …

(फ़िल्म - चार दीवारी 1961)