भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गौरी दुलहा के आजु परीछू सखिया / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
गौरी दुलहा के आजु परीछू सखिया
बसहा चढ़ल शिव डामरु बजाबे, मुखमे ने दांत एको सखिया
गोरी दुलहा .....
तीन नयन भाल चन्द्र बिराजय, जटा मे गंगा बहय सखिया
गोरी दुलहा .....
मस्तक मौर सांप केर शोभिन, ओढ़थि बघम्बर छाल सखिया
गोरी दुलहा .....