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गौरैया / मणि मोहन
Kavita Kosh से
स्कूल गई है गौरैया
अभी घर में पसरा है सन्नाटा
पौने तीन बजे होगी छुट्टी
तीन बजे तक लौटेगी गौरैया
आते ही फेंकेगी अपने जूते
बरामदे में
और बस्ता
ड्राइंगरूम में
(कभी-कभार इसके ठीक उलट
बस्ता बारामदे में
और जूते ड्राइंगरूम में)
कैसा रहा स्कूल ? पूछेगी उसकी माँ ...
तिरछी नज़रों से देखेगी अपनी माँ को
फिर झटकेगी अपने पंखों से
मरे हुए शब्दों की धूल
और मुस्कराएगी ....
और फिर
चहक उठेगा पूरा घर
बस आती होगी गौरैया ।