भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गौरैय्या और मैं / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
मुझसे घबराती है
छोटी गौरैय्या
क्योंकि मैं
उड़ता नहीं
घटिया हूँ।
रचनाकाल: ०४-०२-१९६१