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ग्यान सरीषा गुरु न मिलिया / गोरखनाथ

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ग्यान सरीषा गुरु न मिलिया ,
चित्त सरीषा चेला ।
मन सरीषा मेलू न मिलिया
ताथैं गोरष फिरै अकेला ।।