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घटनाक्रमक वर्णन / भाग 7 / रमापति चौधरी

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जखनहि सुनलहुँ रक्त पिपासु भीम भायकेँ धयलक
पीबि दुःशासन रक्त तृप्तभय द्रौपदि बदला लेलक
दुहू बीच सब तकिते रहला बजला क्यो नहि जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥71॥

जखनहि सुनलहुँ शूर शिरोमणि प्रबल पराक्रमधारी
अपराजित रणमे, रण विजयी धीर धनुर्धरधारी
कर्ण प्रतापी मारल गेला अर्जुन द्वारा जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥72॥

जखनहि सुनलहुँ नृपति युधिष्ठिर मारल माम हराकेँ
महावीर रथवीर शल्यतहँ खसला बीच धराकेँ
संचालक सेनापति कौरव मुइला रणमे जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥73॥

जखनहि सुनलहुँ सौबलि शकुनि धूर्तशिरोमणि द्यूतक
कपटी कुटिल विचारकदाता कारण युद्धक मूलक
वीर धुरन्धर सहदेवक-शर मारल गेला जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥74॥

जखनहि सुनलहुँ हिया हारिकेँ अशोथकित भय आयल
सरवर जलमहँ विरमि देर किछु बूझि सुचिन्त नुकायल
दुर्योधन निर्योधन केर हम हालत सुनलहुँ जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥75॥

जखनहि सुनलहुँ नृपति सुयोधन छथि छपकल सरवरमे
कृष्ण सहित पाँचो पाण्डवगण ललकारल कटु स्वरमे
कटुकटु वचन असह्य अनेको सहि नहि सकले जखन
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥76॥

जखनहि सुनलहुँ गदा युद्ध मे भीम सुयोधन बीचे
भीम हारिकेँ जीति न सकला मारल डाँरक नीचे
कृष्ण इशारहिं युद्ध अनितिहि मुइला ममसुत जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥77॥

जखनहि सुनलहुँ द्रौणि दुष्ट सब घोर अन्धेर मचौलक
पाँचबाल द्रौपदि सुत सूतल रातिहिं मारि घिनौलक
ई वीभत्स कार्यलखि दुष्टक विस्मित छथि सब जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥78॥

जखनहि सुनलहुँ गर्भनाशहित कयल प्रयोग महास्त्रक
द्रौणिक दुष्कर कार्य रचल छल वंश समस्त विनाशक
किन्तु कृष्ण ओ व्यास दुहू मिलि रक्षा कयलन्हि जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥79॥

जखनहि सुनलहुँ द्रोणपुत्र कृत अस्त्र ब्रह्म शर छुटले
“स्वस्ति स्वस्ति” कहि निज अस्त्रहिं सँ ताहि शान्ति कय देले
तदुपरि अर्जुन मणिरत्नहुँकेँ छीनल तनिसँ जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥80॥