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घड़ियाँ / कृष्ण कुमार यादव
Kavita Kosh से
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घड़ियाँ
अब सिर्फ समय नहीं बतातीं
लोगों की हैसियत भी बताती हैं
जितने बडे़ लोग, उतनी मँहगी घड़ियाँ
घड़ियाँ अब
कलाईयों की ही शोभा नहीं
बेडरूम, ड्राइंग रूम और गाड़ियों
की भी शोभा बढ़ाती हैं
हर अवसर के लिए
अलग तरह की घड़ियाँ
जितने देश
उतने तरह के समय
ऐसी ही कुछ
जिंदगी की भी घड़ी है
कोई नहीं जानता
कब और कहाँ रूक जाय ।