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घनन घनन नभ घिर आऐं बदरा / मंगलेश

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घनन घनन नभ घिर आऐं बदरा।
बिरह अगन कों दहकाऐं बदरा॥

धड़म धूम ध्वनी धड़ड़ड़ धड़ड़ड़।
चटर पटर सट बतराऐं बदरा॥

बूँदें तीर सी लागत तन पर।
झमर झमर झम बरसाऐं बदरा॥

चंद्रहास सम दामिनि दमकै।
तड़क भड़क मन डरपाऐं बदरा॥

श्याम-श्याम सौं मिल भएे बैरी।
लड़त झड़त और हरसाऐं बदरा॥

मंगलेश अति भौत भई अब।
टरर टरर तज घर जाऐं बदरा॥