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घर की ओर / टोमास ट्रान्सटोमर
Kavita Kosh से
फोन की एक बातचीत छलक गई रात में
और जगमगाने लगी शहर और देहात के बीच
होटल के बिस्तर पर करवटें ही बदलता रहा उसके बाद
सूई की तरह हो गया मैं किसी दिशा सूचक यंत्र की
जिसे लिए जंगलों से होकर भाग रहा हो कोई दौड़ाक
धड़धड़ाते हुए दिल के साथ
(अनुवाद : मनोज पटेल)