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घर जैसे / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
हर प्यासे को पानी देना,
और भूखे को रोटी।
दया प्रेम ममता करुणा की,
ये ही एक कसौटी।
लूले लंगड़े अंधे और
लाचार, कई ऐसे हैं।
इनकी सेवा करो प्रेम से,
ये सब घर जैसे हैं।