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घर फोखा दारू / छेदी शर्मा

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हाय रे घर फोखा दारू....
हमर दाई नरियाय- हमर करम फूटे हाय, हमर करम फूटे हाय
हमर लड़का नरियाय- हाय रे घर फोखा दारू....

एखर आनी-बानि के नाम, पीके दिखथे अमली-आम
बुद्धि हमर सिरावे भइया, बिगरै जम्मो काम
पड़े लिखे बार जाय न टूरी- टूरा बाढ़त जाय
तन के रोग लगावे दारू पइसा घलो सिराय

घर के भीतर माते झगरा बाहिर घलो सुनाय
दुनिया भर के मंजा लेवइया ठट्ठा हमार बनाय ॥
हमर करम फूटे हाय

हमर दाई नरियाय- हमर करम फूटे हाय, हमर करम फूटे हाय
हमर लड़का नरियाय- हाय रे घर फ़ोका दारू॰

महर करम के नाश करे बर दारुघर में आय
घर के पोल उजागर होवे इज्जत घर के जाय

ये दारुके नाम न लेवे जेखर नाम शराब है
धन और धरम गवाये दुनो ऐसन चीज खराब है

अंगना-अंगना बांधौ गइया, देखो तनिक निहारि के
कतेक बनाइस कतेक बिगरिस, सोचो तनिक बिचारि के

कतका दुख हम पाथन एमा जम्मो सुख ल मारिके
छाड़व जम्मो दारूसंगी, पीओ दूध तिहारि के
करनी सुग्घर करे म संगी जग सुग्घर हुइ जाय॥ हमर दाई