भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घर बनाया / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ये पहाड काटे हमने
कुछ जगह समतल बनाई
फीते से नापा
कुछ वर्ग फुट जगह अपने नाम लिखी

दीवारें उठाईं
छतें डलवाईं
रंग-रोगन किया
अपने नाम की तख्ती
दरवाजे पर लटकाई
और खुश हुए
चलो, हमारा भी मकान बना

पर
तुम्हीं हो जिसने
इसे घर बनाया !