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घर में रमती कवितावां 1 / रामस्वरूप किसान
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छात पर चढ़‘र
हेलौ मारदयौ
कोई नीं सुणै
छात रै लटक ज्यावौ
सगळौ गांव
भेळौ हुज्यै।