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घर में रमती कवितावां 30 / रामस्वरूप किसान

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म्हारै घरे
मां है बाबौ है
दादी है दादौ है
काकी है काकौ है
ताई है ताऊ है

म्हैं हूं
म्हारी लुगाई है
म्हारा टाबर है
छोटौ भाई है

अर बां रै
एक बो है
एक बा है
अर टाबर बसै
स्कूल में

फेर ई लोग
घर कवै उण नै
भूल में।