घुट घुट के जिया अगर तो जीना क्या है
पतवार न हो जब तो सफ़ीना क्या है
आलामो-मसाइब से ओ डरने वाले
उम्मीद पे दिन काट, महीना क्या है?
घुट घुट के जिया अगर तो जीना क्या है
पतवार न हो जब तो सफ़ीना क्या है
आलामो-मसाइब से ओ डरने वाले
उम्मीद पे दिन काट, महीना क्या है?