भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घुला लहू में ज़हर देहली / ऋषभ देव शर्मा
Kavita Kosh से
घुला लहू में ज़हर देहली
हत्याओं का शहर देहली
नशे-नहाई हुई जवानी
एक शराबी नहर देहली
दिल की कश्ती को ले डूबी
आवारा सी लहर देहली
खंजर से तन-मन घायल है
ठहर कसाई ठहर देहली
रोज पटाती है सूरज को
नंगी हर दोपहर देहली
रोज़-रोज़ हर गली क़यामत
सड़क-सड़क पर कहर देहली