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घोटाला वाला देश बन गेलइ / उमेश बहादुरपुरी

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चंदा जेकरा चूमऽ हल गरव करे असमान
घोटाला वाला देश बन गेलइ अप्पन हिंदुस्तान
सत्य आउ अहिंसा के तब पाठ पढ़इलन गाँधी
कहाँ उड़ा के ले गेल उनखा मउत के निर्मम आँधी
बना देलक बेदरदी नाथू उनखा तब बेजान
घोटाला ....
मारलक हल नाथू तखने एक बेर महात्मा गाँधी के
मार रहलइ हें मरलो पर की कहना समाजवादी के
उनखर आत्मा के कर रहलइ हर पल लहूलुहान
घोटाला...
बुद्ध महावीर नानक के ई धरती पर की होबऽ हे
नेताजी आजाद भगत के अरमा देखऽ रोबऽ हे
आझ के नेता से पूछऽ हथ, इहे ले देलूँ जान
घोटाला ...
रिश्वत के बाजार गरम हे नञ् केकरो अब लाज-शरम हे
लूट डकैती आगजनी अखने के ईमान-धरम हे
जे अस्मत के लूटेवाला उहे बाँटइ ग्यान
घोटाला ....
बारूद से बाजार पटल हे इंसानन के दाम घटल हे
एकरे घर में चार दुआरी चारो के ईमान बँटल हे
लेके पिसटल हाँथ बुतरूअन, हो रहलइ हे सेआन
घोटाला ...
जेकरा देखऽ उहे दौड़ल जा रहलइ मयखाना
तनी सा भितर हेल के देखऽ, टुट रहलइ हें पैमाना
हाँथ में बोतल ले ऊ जुअनका, झूमे में समझइ शान
घोटाला ...
गाँजा-भाँग के हरिअर पत्ता दुरिये से लउकऽ हे
बात रहऽ हे तनिके गो पचफोरन से छउँकऽ हे
उपजाबे ले कोय न चाहे खेत में गेहुम-धान
घोटाला ...
फल-फुल रहलइ भ्रष्टाचार, सगरो मचल हाहाकार
सज रहलइ हे हवस के मंडी फेर से बारंबार
काँचा-धागा आउ राखी के, हो रहलइ अपमान
घोटाला ...
देश के केकरो फिकर हे नञ्, भगति के जिकर हे नञ्
चहूँ-ओर हे घुज्ज अँथरिया होवेवाला फजर हे नञ्
बना देलक ई देश के जुलमी ऊ त कब्रिस्तान
घोटाला ...
देश के सउदागर कर रहलो हरदम देश के सउदा
दुनहुँ हाँथ से आम तोड़ऽ हो घउँछे पर ऊ घउँछा
ओकरा सबक सिखाबे ले छेड़े पड़तो अभियान
घोटाला ...
ऊपर से कोय आय फरिश्ता एकरा नञ् सरिअइतइ
हमरे बीच के जननायक ओकरा से फरिअइतइ
उहे दिन हो जइतइ भइवा, हमनी सब ले विहान
घोटाला ...