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घोर कलजुग ऐलै / खुशीलाल मंजर

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कीं कहियौं मधुआ रऽ माय
गरीबऽ रऽ दुनियाँ में एक्को नै उपाय
बेटी होलऽ तेॅ केन्हऽ होलऽ निनान
बिकलऽ जमीन आरो बिकलऽ सब धान
तैहयो नै बेटा-बाप घामैं छै
केन्हौं केॅ नै मानै छै
हाथो जोड़लियै पैरो पकड़लियै
तैहयो देलकै हमरा उड़ाय
की कहियौं मधुआ रऽ माय

खूब खोजलियै सगरो गेलियै
आपनऽ जानत काही नै छोड़लियै
हर जग्घऽ के यहेॅ रबैय्या
मूर्खो दुल्हा माँगै रुपैय्या
जरा-मरा जों पढ़लऽ छौं
मत पूछऽ कि कत्तेॅ बिगड़लऽ छौं
सोचै में नै कुछ आबै छै हाय
की कहियौं मधुआ रऽ माय

जों खोजै छी कॉलेजऽ रऽ लड़का
तेॅ सीधे लागै छै हमरा पटका
पढ़ला लिखला सें कुछवे नै भेलै
मधुआ माय घोर कलजुग ऐलै
छोटका बड़का के लाजो नै राखै छै
लड़का तेॅ पतरा फरके भांजै छै
दहेज दस हजार दू पैसा कमाय
की कहियौं मधुआ रऽ माय