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चँदन के चहला मेँ परी परी पँकज की पँखुरी नरमी मैँ / दत्त

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चँदन के चहला मेँ परी परी पँकज की पँखुरी नरमी मैँ ।
धाय धसी खसखानन हाय निकुँजन पुँज भिरी भरमी मैँ ।
त्योँ कवि दत्त उपाय अनेक किए सिगरी सही बेसरमी मैँ ।
सीतल कौन करै छतियाँ बिन प्रीतम ग्रीषम की गरमी मैँ ।


दत्त का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।