गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 20 मार्च 2008, at 01:00
चक्र चल रहा है वेग से... / केदारनाथ अग्रवाल
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
केदारनाथ अग्रवाल
»
फूल नहीं रंग बोलते हैं
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
चक्र चल रहा है वेग से अत्यधिक
प्रमाद से कुचल दिए गए हैं पथिक
दुखान्त के रथ का सारथी है बधिक ।